चातुर्मास से जुड़ी पंरपराएं:चातुर्मास में क्यों नहीं होते हैं विवाह जैसे मांगलिक कर्म के मुहूर्त, इन दिनों में कौन-कौन से शुभ काम करना चाहिए

10 जुलाई को देवशयनी एकादशी है और इस तिथि के बाद से देवउठनी एकादशी तक चातुर्मास रहेंगे। पंचांग भेद की वजह से देवउठनी एकादशी 4 और 5 नवंबर रहेगी। धर्म और स्वास्थ्य के नजरिए से चातुर्मास का महत्व काफी अधिक है। इन चार महीनों में धर्म-कर्म के साथ ही दैनिक जीवन में काफी सावधानी रखनी चाहिए।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक अभी बारिश का समय है और इस वजह से खाने-पीने की चीजों के संबंध में की गई लापरवाही स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है। बादलों की वजह से सूर्यदेव के दर्शन नहीं होंगे। धूप नहीं निकलेगी, इसका सीधा असर हमारे पाचन तंत्र पर होता है। इसलिए मांसाहार, अधिक तेल-मसालेदार खाने से बचना चाहिए। ऐसी चीजों का सेवन करें, जिन्हें हमारा पाचन तंत्र आसानी से पचा सकता है।

चातुर्मास में विष्णु जी करते हैं विश्राम

  • विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे शुभ कर्मों में पंचदेवों की पूजा खासतौर पर की जाती है। पंचदेवों में गणेश जी, शिव जी, विष्णु जी, देवी दुर्गा और सूर्य देव शामिल हैं।
  • मान्यता है कि चातुर्मास में विष्णु जी विश्राम करते हैं और इस वजह से वे किसी भी शुभ कर्म में उपस्थित नहीं होते हैं।
  • विष्णु जी की अनुपस्थिति में कोई भी शुभ कर्म नहीं हो सकता है। इसी मान्यता की वजह से चातुर्मास में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त नहीं रहते हैं।

चातुर्मास में कौन-कौन से शुभ कर्म करें

  • चातुर्मास में अपने इष्टदेव के मंत्रों का जप और ध्यान करना चाहिए। इन दिनों में रामायण, श्रीमद् भगवद् गीता, शिव पुराण जैसे ग्रंथों का पाठ करना चाहिए।
  • शिवलिंग पर चांदी के लोटे से दूध चढ़ाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। विष्णु जी के मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय का जप करें, आप चाहें तो श्रीकृष्ण के मंत्र कृं कृष्णाय नम: का भी जप कर सकते हैं।
  • इन दिनों में कई लोगों को रोजगार नहीं मिल पाता है, ऐसी स्थिति में जरूरतमंद लोगों की मदद करें। धन, अनाज, वस्त्र, जूते-चप्पल और छाते का दान करें। गौशाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें।

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