जीवन प्रबंधन:जब तक लालच, क्रोध, झूठ बोलना जैसी बुराइयां रहेंगी, तब तक हमारा मन शांत नहीं हो सकता है

मन की शांति पाने के लिए लोग काफी कुछ करते हैं, लेकिन शांति उन्हीं लोगों को मिल पाती है जो लोग बुराइयों से दूर रहते हैं। अगर किसी व्यक्ति के स्वभाव में लालच, क्रोध, झूठ बोलना, आलस्य, जलन जैसी बुराइयां हैं तो उसे कभी भी मन की शांति नहीं मिल सकती है। ये बात एक प्रेरक कथा से समझ सकते हैं। जानिए ये कथा…

कथा के अनुसार पुराने समय में एक राजा बहुत धनवान था, उसकी सेवा में बहुत सारे नौकर लगे रहते थे, लेकिन वह हमेशा ही अशांत रहता था। वह बहुत कोशिश करता था कि उसका मन शांत हो जाए, लेकिन इसमें उसे कभी सफलता नहीं मिल रही थी।

एक दिन राजा जंगल में घूम रहा था। उसे जंगल में एक कुटिया दिखाई दी। राजा उस कुटिया में पहुंचा तो वहां एक संत मिले। संत ध्यान में बैठे हुए थे। राजा भी चुपचाप संत के सामने बैठ गया।

जब संत ध्यान से उठे तो उन्होंने राजा को देखा। राजा ने संत को प्रणाम किया और अपनी समस्याएं बताईं। उसने संत से कहा कि कोई ऐसा रास्ता बताइए, जिससे मेरी सभी समस्याएं समाप्त हो जाएं।

संत ने कहा कि आप ध्यान करेंगे तो मन को शांति मिलेगी। संत की बात मानकर राजा ने वहीं बैठकर ध्यान करना शुरू कर दिया। उसने आंखें बंद कीं, लेकिन उसके दिमाग में विचार रुक ही नहीं रहे थे। वह ध्यान नहीं कर सका और उसने आंखें खोल लीं। राजा बोला कि महात्मा जी मैं ध्यान नहीं कर पा रहा हूं।

संत बोले कि कोई बात नहीं। अभी आप मेरे साथ बाहर मेरी छोटी सी बगिया में चलें। थोड़ा वहां घूम लेते हैं। बगिया में घूमते समय राजा के हाथ में एक कांटा चुभ गया। खून बहने लगा तो संत तुरंत ही राजा को लेकर अपनी कुटिया में पहुंचे और लेप लगाया।

संत ने कहा कि राजन् एक छोटे से कांटे की वजह आपको इतनी तकलीफ हो रही है तो सोचिए आपके मन में लालच, क्रोध, जलन, झूठ, घमंड जैसी बुराइयों के कांटें चुभे हैं तो मन को शांति कैसे मिलेगी। आपको सबसे पहले इन बुराइयों से बचना होगा। तभी आपका मन शांत हो पाएगा।

राजा को संत की बातें समझ आ गईं और इसके बाद उसने धीरे-धीरे इन बुराइयों को दूर करने की कोशिश शुरू कर दी।

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