बच्चों में बहुत-सी अच्छी और बुरी आदतें होती हैं जिन्हें देखकर उनकी परवरिश का पता लगता है

रोहित और रोहन अच्छे दोस्त हैं। दोनों की उम्र आठ वर्ष है। वे रोज़ शाम को पार्क में खेलने जाते हैं। एक दिन रोहित ने रोहन को थोड़ी देर और रुकने को कहा तब रोहन ने उसे बड़ी विनम्रता से जवाब दिया कि ‘मैं अभी नहीं रुक सकता हूं क्योंकि मैं अपने घर पर 7 बजे लौटने का बोलकर आया हूं। मैं यदि देर से गया तो घर पर सब परेशान होंगे। पर कल पक्का मैं मम्मी से पूछकर आऊंगा और फिर रुक जाऊंगा’। रोहित की मम्मी वहीं पास खड़े होकर दोनों की बातें सुन रही थीं। रोहन की बातें सुनकर उन्हें बहुत अच्छा लगा। उन्हें एहसास हुआ कि रोहन की परवरिश बहुत अच्छी हुई है। वे रोहित की संगत को लेकर भी निश्चिंत हो गईं।
बच्चों की छोटी-छोटी आदतें उनके परिवार व परवरिश के बारे में बहुत कुछ कह जाती हैं। बच्चों में आदतों का बीज माता-पिता को ही बोना पड़ता है। जब अच्छी आदतें बचपन में ही बो दी जाएंगी तो भविष्य बेहतर होगा। बच्चों की कुछ मुख्य अच्छी-बुरी आदतों के बारे में हम इस लेख में चर्चा कर रहे हैं।

पापा” भी बनें बच्चों के दोस्त | हिम शिमला लाइव


स्वच्छता का प्रशिक्षण
बच्चा माता-पिता के आसपास न होने पर भी यदि कुछ खाने-पीने से पहले हाथ धोता है, तरीक़े से खाना खाता है, चॉकलेट का कचरा व फल का छिलका कूड़ादान में ही डालता है, छींक-खांसी आते ही मुंह पर हाथ रखता है। तो उसे देखकर यह पता चलता है कि इन सब आदतों के लिए उसे घर पर सही प्रशिक्षण मिला है। यह संदेश भी जाता है कि परिजन भी घर पर इसी प्रकार का व्यवहार करते होंगे। वहीं, बच्चा स्वच्छता की आदतों को यदि जानता-अपनाता ही नहीं है तो यह स्पष्ट हो जाता है कि उसे घर पर अच्छी आदतें सिखाई ही नहीं गई हैं।

बच्चों की परवरिश: ख़ुशी की चाबी और बचपन के जादुई क़िस्से - BBC News हिंदी


अनुशासन का अनुसरण
बच्चा यदि समय से खेलने जाता है और कुछ समय के बाद बिना बुलाए ही घर लौट आता है तो इससे पता चलता है कि उसे घर पर अनुशासन के नियम सिखाए गए हैं। किसी रिश्तेदार के घर ठहरने पर भी बच्चा यदि समय से सो जाता है और जल्दी जागता है तो स्पष्ट दिखाई देता है कि उसकी परवरिश में अनुशासन कितना है। कुछ बच्चे कोई भी काम समय से नहीं करते हैं और जब किसी दूसरे के घर उन्हें नींद से जल्दी जगाया जाता है, तो वे चिड़चिड़े हो जाते हैं। नतीजन भविष्य में भी वे अनुशासित जीवनचर्या को आसानी से नहीं अपना पाते हैं।


परिस्थिति अनुसार ढलना
बच्चा जब किसी के घर जाता है तो वहां भोजन में जो उपलब्ध होता है, वो बिना ना-नुकर के खा लेता है। जैसा बड़े कहते हैं, मान लेता है। घर पर भले ही वो पसंद-नापसंद व्यक्त करता हो लेकिन बाहर सब में मान जाता है। यह आचरण बताता है कि बच्चे को घर में परिस्थिति के अनुसार ढलने की शिक्षा दी गई है। कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं, जो घर के बाहर भी खाने को लेकर ज़िद पर अड़ जाते हैं, पसंद का खाना नहीं मिलता तो वे खाते ही नहीं या परेशान करते हैं। बच्चे के स्वभाव में जब परिस्थिति अनुरूप ढलना नहीं होता है, तब वे ऐसा ही करते हैं।


सक्रिय रहने की शिक्षा
बच्चा कुछ भी कर रहा हो लेकिन आपके एक आवाज़ लगाने पर वो उस स्थान को छोड़कर आपके पास आ जाता है तो यह पता चलता है कि माता-पिता ने उसे आलस्य से मित्रता नहीं करने दी है। वहीं कुछ बच्चों में ऐसी आदत भी होती है कि यदि आपने उन्हें कोई काम बताया है तो पहली आवाज़ में तो वे कभी नहीं उठेंगे। ‘कर रहा हूं, उठ रही हूं, जा रहा हूं, आ रही हूं’ ऐसे ही जवाब सुनने को मिलेंगे। इस तरह के व्यवहार से शरीर में आलस्य दिन-ब- दिन बढ़ता ही जाता है। सक्रियता की प्रवृत्ति भविष्य के लिहाज़ से भी आदर्श है।

Discipline | बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए इन अनुशासन का करें पालन |  Navabharat (नवभारत)


व्यावहारिक कौशल
बच्चा घर आए मेहमानों में बड़ों को आगे रहकर प्रणाम करता है, छोटों से प्यार से बात करता है, अपने खिलौनों से उनके साथ मिलकर खेलता है व लड़ाई- झगड़ा नहीं करता है। बच्चे के ऐसे स्वभाव से उसकी व्यावहारिक कुशलता का पता चलता है। कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जिनकी आदत होती है कि जब कोई मेहमान घर आते हैं तो वे बड़ों को ठीक से जवाब नहीं देते हैं। हमउम्र बच्चों को अपना कोई खिलौना नहीं देते हैं, उनसे थोड़ी ही देर में लड़ाई-झगड़ा कर लेते हैं। यह बर्ताव बच्चे में व्यावहारिक कौशल की शिक्षा के अभाव को दिखाता है।

किताबी ज्ञान ही नहीं संस्कार भी ज़रूरी हैं

इन आदतों से निखरेगा भविष्य

बच्चों को शुरू से देश-दुनिया की जानकारी के प्रति जागरूक करें। उन्हें ऐसी कॉमिक पढ़ने को दें व ऐसे चैनल दिखाएं जिनसे उन्हें कुछ नया सीखने को मिल सके। उन्हें रोचक चीज़ों की जानकारी दें, उन्हें अंतरिक्ष से लेकर प्रवासी पक्षियों के बारे में बताएं। उनमें रुचि विशेष के विषयों को जानने की उत्सुकता जगाएं।  बच्चों को सभी की मदद करना सिखाएं। अगर किसी बुज़ुर्ग को सड़क पार करने में मुश्किल आ रही हो या वे नीचे झुककर सामान उठाने में असमर्थ हैं या किसी जानवर को भी मदद की ज़रूरत है तो किस तरह मदद की जा सकती है, यह ज़रूर सिखाएं। बच्चों के अंदर मदद का भाव छुटपन से ही डालें।  कुछ बच्चे किसी दूसरे के घर जाते ही उनके सामान से छेड़छाड़ करने लगते हैं। जैसे उनका पर्स खोलना, उनके फोन का पासवर्ड मांगकर गेम्स खेलना आदि। बच्चों को बताएं कि इस तरह का व्यवहार उचित नहीं है। घर पर मेहमान आने पर उनके लिए पानी लाना, उनके हाल-चाल पूछने जैसे शिष्टाचार बच्चों को सिखाएं।

Leave a Comment